सड़क मे गड्डे नहीं होते, पाइप लाइन को खोदी गई नाली को बन्द कर दिया गया होता तो शायद ये हादसा टल सकता था।

हादसे की जड़ में जिम्मेदारों के संरक्षण में पल रहा भ्रष्टाचार - रिश्वतखोरी और कमीशनखोरी।

बदायूं में एक बड़ा सड़क हादसा हुआ। 
हादसे में चार बच्चे और एक चालक की मौत हो गई।
कई बच्चे जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।

वैसे तो नित्य हादसे होते हैं, नागरिक प्राण गंवाते हैं। 
किंतू यह हादसा नित्य होने वाले हादसों से अलग है। 
क्योंकि इस हादसे में दो स्कूल वाहनों में आमने सामने की टक्कर हुई।
बडे़ प्रशासनिक अधिकारी अस्पताल पहुंचे। 
शासन ने भी चिंता वयक्त की।

तमाम सवाल भी उठेंगे कि इस हादसे के लिए ज़िम्मेदार कौन ? 
वाहन मानकों पर खरा था या नहीं, बच्चे अधिक क्यों बैठाए गए और परिवहन विभाग के अधिकारियो पर ठीकरा फोड़ दिया जायगा, जो निर्धारित शुल्क पर डग्गामारी कराते हैं, स्कूल वाहनों की जांच इसलिए नही करते क्योंकि उनसे बर्ष भर का शुल्क एकमुश्त मिल जाता है।

एक प्रश्न यह भी उठना लाजमी है कि सड़क मे गड्डे थे, सड़क के दोनों ओर पाइप लाइन के लिए गहरी नाली खोदी गई है। यदि सड़क मे गड्डे नहीं होते तथा सड़क के दोनों ओर खोदी गई नाली बंद कर दी गई होती तो भी यह हादसा टल सकता था। लेकिन जिम्मेदारों ने कमीशन लेकर गड्ढों और पाइप लाइन के लिए खोदी गई नाली को नहीं देखा। अक्सर देखा गया है कि भुमिगत विद्युतीकरण , गैस व इंटरनेट, जलापूर्ति के लिए सड़के खोदी जाती है किंतु उन्हें यथावत करने के बजट का बंदरबांट इसलिए कर लिया जाता है कि नई सड़क बनने पर गड्ढे स्वत: भर जायेगे।
अब तीसरा गंभीर सवाल खड़ा होता है कि जब गांव गांव सरकारी स्कूल हैं फिर अभिभावक अपने बच्चों को महंगे निजी स्कूलों में मानक के विरुद्ध संचालित वाहनों से भेजने का जोखिम क्यों उठाते हैं। ऐसे अनेक बच्चे हैं जो प्रतिदिन एक से दो घंटे की यात्रा करके स्कूल बस से विद्यालय पहुंचते हैं और इतने समय में ही घर लौटते हैं, प्रतिदिन दो से चार घंटे की यात्रा करने वाले बच्चे घर पर कितनी पढ़ाई कर पाते होगे, उनके स्वास्थ्य पर इस प्रतिदिन की यात्रा का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
सरकारी और निजी विद्यालयों के मान्यता के मानक अलग अलग है। हर जगह सरकारी स्कूल होने के बाद भी अभिभावक निजी स्कूलों की ओर इसलिए रुख करते हैं कि सरकारी स्कूलों में कक्षावार, विषयवार शिक्षक नहीं है। मिड डे मील, फ्री किताबे, ड्रेस, जूता मोजा, बैग, फर्नीचर सहित स्कूलों के कायाकल्प पर ध्यान दिया जा रहा है, निगरानी भी हो रही है, लेकिन नीति नियंता यह भूल गए कि स्कूलों का कायाकल्प तभी होगा जब कक्षावार और विषयवार शिक्षक नियुक्त होगे।

आज के इस ह्रदय विदारक हादसे के तीन कारण मेरी समझ में आए और इन तीनों कारणों की जड़ में है जिम्मेदारों के संरक्षण में पल रहा भ्रष्टाचार -रिश्वतखोरी और कमीशनखोरी ।

रास्ता निहार ती रहीं माएं तमाम रात,
बच्चे स्कूल से सीधे जन्नत चले गए ।।

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