पंचायतों और नगर निकायों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया है। ग्राम पंचायत सदस्य, प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ब्लाक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य एवम जिला पंचायत अध्यक्ष, नगर पंचायत अध्यक्ष, नगर पालिका परिषद अध्यक्ष, मेयर व सभासद एवम पार्षद के ३३ प्रतिशत पद महिलाओ के लिए आरक्षित हैं।
पंचायतों और नगर निकायों में ३३ प्रतिशत पदो पर महिलाओ के आसीन होने के साथ ही प्रधान पति, प्रधान पुत्र, प्रमुख पति, प्रमुख पुत्र, जिला पंचायत सदस्य पति, जिला पंचायत सदस्य पुत्र, जिला पंचायत अध्यक्ष पति, जिला पंचायत अध्यक्ष पुत्र, चेयरमैन पति, चेयरमैन पुत्र जैसे नवीन पद चलन में आ गए। यहां तक कि सरकारी बैठकों में भी इन महिला प्रतिनिधियों के पति व पुत्र भाग लेने लगे।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में भी महिला प्रतिनिधियों के पति और पुत्रों द्वारा ही सहभागिता की जाती है। इस संबंध मे शासन द्वारा भी समय समय पर दिशा निर्देश जारी किए गए हैं कि महिला प्रतिनिधियों के स्थान पर उनके परिजन कार्य नही करेगे, सरकारी बैठकों में भी यही व्यवस्था प्रभावी रहेगी।
जिन पंचायतों और नगर निकायों में महिलाएं निर्वाचित हुई है, वे अपने निकट संबंधियों पर ही पूरी तरह आश्रित हैं। स्वतंत्र रूप से कार्य कर पाने में पूरी तरह समर्थ नहीं है। उनको समर्थ बनाने हेतु उपाय भी नहीं किए गए हैं।
पंचायतों और नगर निकायों में महिला आरक्षण के अनुपात में अधिकारियों व अन्य कार्मिकों की नियुक्ति न होना भी इसका एक बड़ा कारण है।
नारी शक्ति मिशन तभी सार्थक होगा जब पंचायतों और नगर निकायों में महिला आरक्षण के अनुपात में महिला अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति के साथ ही, परिजनों पर आश्रित रहने की प्रवृत्ति परिवर्तित करने तथा स्वतन्त्र रूप से कार्य करने की इच्छा शक्ति उत्पन्न करने के लिए आवश्यक उपाय करने पड़ेंगे तभी महिला आरक्षण सार्थक हो सकेगा।
हरि प्रताप सिंह राठोड़
अधिवक्ता
अध्यक्ष/संस्थापक
जन दृष्टि (व्यवस्था सुधार मिशन)
९५३६१६२४२४
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