भारतीय भाषा में ही बने भारतीय कानून।

हिंदी को मिले पूर्ण राजभाषा का दर्जा।
जन दृष्टि (व्यवस्था सुधार मिशन) के तत्वावधान मे अध्यक्ष/ संस्थापक हरि प्रताप सिंह राठौड़ एडवोकेट के नेतृत्व में विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर जिलाधिकारी बदायूं के माध्यम से देश के राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री एवम गृह मंत्री को सम्बोधित ग्यारह सूत्रीय मांग पत्र प्रेषित किया गया।
इस अवसर पर विचार व्यक्त करते हुए व्यवस्था सुधार मिशन के जनक हरि प्रताप सिंह राठौड़ एडवोकेट ने कहा कि जिस भाषा के नेतृत्व में आज़ादी की लड़ाई लड़ी गई, उसे आजादी के पचहत्तर वर्ष बाद भी पूर्ण राजभाषा का दर्जा नहीं मिल सका है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३४३(२) में एक अस्थायी व्यवस्था के तहत १५ वर्ष के लिए अंग्रेजी में कार्य करने की व्यवस्था दी गई, किंतु इस अस्थाई प्रावधान को नहीं हटाया गया। दुर्भाग्य का विषय है कि अभी तक भारतीय कानून भारतीय भाषा में नही बनाए जा रहे हैं।
श्री राठोड़ ने कहा कि देश के समस्त विश्व विद्यालयो में प्रमुख साहित्यकारों के नाम पर अनिवार्य रूप से हिंदी विभाग की स्थापना हो। प्रत्येक जनपद में हिंदी भवन बनाए जाएं, हिंदी साहित्यकारों को प्रोत्साहन मिले। शासन और प्रशासन द्वारा उनकी समस्याओं के समाधान के लिए नीति बने साथ ही निशुल्क चिकित्सा और यात्रा के साथ ही पेंशन की सुविधा भी मिले।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से संरक्षक एमएल गुप्ता, केन्द्रीय कार्यालय प्रभारी रामगोपाल, जिला समन्वयक सत्येन्द्र सिंह गहलोत, ज्ञानदीप शर्मा, ज्योति शर्मा, ब्लॉक समन्वयक प्रमोद कुमार, नेत्रपाल, विकास कुमार, वंशीधर , श्रीराम आदि की सहभागिता रही।

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