योग व झांसी की रानी को समर्पित मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन।

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बने निरोगी कंचन काया योगासन करिए।


भारतीय हिन्दी सेवी पंचायत (प्रकल्प: जन दृष्टि व्यवस्था सुधार मिशन) के तत्वावधान में मासिक काव्य परिसंवाद श्रृंखला के क्रम में योग और वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई को समर्पित दशम मासिक संगोष्ठी सह काव्य गोष्ठी का आयोजन जन दृष्टि (व्यवस्था सुधार मिशन) के शिवपुरम बदायूं स्थित मुख्यालय पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ कमला महेश्वरी की अध्यक्षता में किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में मार्गदर्शक सेवा निवृत कर अधिकारी एम एल गुप्ता उपस्थित रहे। 
योग व झांसी की रानी को समर्पित मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन।

सर्वप्रथम आदिकवि वाल्मीकि, छंदाधिपति गणपति, मां सरस्वती के चित्र पर कार्यक्रम अध्यक्ष व मुख्य अतिथि द्वारा पुष्पमाला अर्पित की गई तदंतर कवियत्री मधु प्रिया चव्हाण द्वारा गणपति वंदना तथा भारतीय हिन्दी सेवी पंचायत के संयोजक राजवीर सिंह तरंग द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई।

उपस्थित जनों ने योग की महत्ता पर प्रकाश डाला तथा वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई का भावपूर्ण स्मरण किया। उपस्थित कविगण द्वारा योग और वीरांगना को समर्पित रचनाएं पढ़ी गई।

डॉ कमला महेश्वरी "कमल" ने पढ़ा - 

पवन वेग से अश्व पवन चढ़,दिल दुश्मन के दलती थी 
जिधर निकलती गोरों के छक्के छुड़वाती चलती थी
दत्तक सुत को बाँध पीठ पर, लड़़ती वो मर्दानी थी 
दूंँगी ना झांँसी मैं मेरी , ब्रिटिश राज से ठानी थी ।।
योग व झांसी की रानी को समर्पित मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन।

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अरविंद धवल ने पढ़ा - 

आजादी के लिए लड़ी, लक्ष्मीबाई सी जवाला के,
अर्पित कर चरणों मे सर दें तो भी ऋणी रहेंगे हम ।।

राजवीर सिंह "तरंग" ने पढ़ा - 

करोगे योग जो निशि-दिन तो तन कुंदन हो जाएगा।
यूॅं होगा ओम का गुंजन कि प्रभु वंदन हो जाएगा।
हमारे देश में बहती सदा ही योग की धारा -
लगाओगे अगर डुबकी तो मन चंदन हो जाएगा।

शैलेंद्र मिश्र "देव" ने पढ़ा - 

दिल से दिल का जुड़ाव किसका है,
इस लहद से लगाव किसका है।
सिर्फ़ दौलत ही चाहिए सबको,
धर्म के प्रति झुकाव किसका है।


कवियत्री मधु प्रिया चव्हाण ने पढ़ा:- 

बने निरोगी कंचन काया, योगासन करिए।
अनुशासन का पालन करके, कष्टों को हरिए।।

संगोष्ठी में प्रमुख रूप से हरि प्रताप सिंह राठौड़ एडवोकेट, मार्गदर्शक एम एल गुप्ता, सुरेश पाल सिंह चौहान, प्यारेलाल, डॉ सुशील कुमार सिंह, रामगोपाल, कृष्ण गोपाल, राम लखन आदि की सहभागिता रही।
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