मोदी राज के ११ वर्ष पूर्ण होने पर संगोष्ठी का आयोजन।
सामाजिक कार्यकर्ताओं की मोदी से ११ अपेक्षाएं।
जन दृष्टि (व्यवस्था सुधार मिशन) के तत्वावधान में मोदी राज के ग्यारह वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में एक संगोष्ठी का आयोजन संगठन के शिव पुरम बदायूं स्थित मुख्यालय पर मार्गदर्शक एम एल गुप्ता की अध्यक्षता में किया गया। सर्व प्रथम राष्ट्र राग ""रघुपति राघव राजाराम......"" का कीर्तन किया गया, ध्येय गीत ""जीवन में कुछ करना है तो मन को मारे मत बैठो"" मंडल समन्वयक एम एच कादरी द्वारा प्रस्तुत किया गया तत्पश्चात संविधान की प्रस्तावना के सामूहिक वाचन के पश्चात मोदी राज के ग्यारह वर्ष के कार्यकाल पर विस्तृत चर्चा हुई। संगोष्ठी के पश्चात अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर जन जागरण के ध्येय से कलेक्ट्रेट तक पैदल मार्च व्यवस्था सुधार मिशन के जनक हरि प्रताप सिंह राठौड़ एडवोकेट के नेतृत्व में निकाला गया। तदंतर जिलाधिकारी बदायूं के माध्यम से ११ सूत्रीय अपेक्षा पत्र देश के प्रधानमंत्री को प्रेषित किया गया।
इस अवसर पर विचार व्यक्त करते हुए जन दृष्टि (व्यवस्था सुधार मिशन) के अध्यक्ष/ संस्थापक हरि प्रताप सिंह राठौड़ एडवोकेट ने कहा कि संगठन द्वारा मोदी राज के ग्यारह वर्ष के कार्यकाल में लिए गए नीतिगत निर्णयों पर चर्चा की। देश में सुशासन की स्थापना के लिए कुछ ऐसे आवश्यक विषय जिन पर सरकार की दृष्टि नहीं पहुंची है, उन विषयों को आज जिलाधिकारी के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री को प्रेषित किया है। आज़ादी के बाद राजनैतिक दृष्टि से विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों का अनेक बार परिसीमन पुनर्गठन किया जा चुका है, आने वाले एक दो वर्ष में ये परिसीमन पुनः होने वाला है किंतु जनसंख्या वृद्धि और वर्तमान सामाजिक तथा भौगोलिक स्थिति के दृष्टिगत प्रशासनिक इकाइयों यथा न्याय पंचायत, थाना, ब्लॉक, परगना, तहसील, जिला, मण्डल व राज्यों का पुनर्गठन/ परिसीमन क्षेत्रफ़ल व जनसंख्या के आधार पर किया जाना आवश्यक है। देश को क्षेत्रफ़ल और जनसंख्या के आधार पर पचास राज्यों में विभाजित किए जाने की आवश्यकता है।
श्री राठौड़ ने कहा कि आज़ादी के समय अपनी रियासतों का विलय करने वाले राजाओं, काले पानी की सजा काटने वाले क्रांतिकारी, संविधान सभा के सदस्य, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व उप राष्ट्रपति, पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और पूर्व सी डी एस भारत रत्न प्राप्त करने के अधिकारी हैं। संविधान में संशोधन करके उप प्रधानमंत्री और उप मुख्यमंत्री के पद सृजित कर उनकी शक्तियां और दायित्वों का निर्धारण किया जाए।
श्री राठौड़ ने कहा कि लोकपाल अधिनियम की धारा ६३ में वर्णित व्यवस्था के अनुसार प्रत्येक राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं हुई है, केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोग को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के जजों से मुक्त करके नौकरशाहों के हाथ में सौंप दिया गया है परिणाम स्वरूप सूचना का अधिकार अधिनियम निष्प्रभावी कर दिया गया है इसी प्रकार नियमित निगरानी तंत्र के अभाव में जनहित गारंटी कानून निष्प्राण हो गया है। राज्य की जिम्मेदारी है कि वह निशुल्क शिक्षा और चिकित्सा नागरिकों को दे किंतु शिक्षा और चिकित्सा निजी हाथों में सौंपी जा रही है। योग्यता अनुसार रोजगार की गारंटी का कानून बनाने की जरूरत है। न्याय पालिका को कुछ घरानों से मुक्ति दिलाने के लिए भारतीय न्यायिक सेवा का गठन आवश्यक है।
श्री राठौड़ ने कहा कि देश में बढ़ती रिश्वतखोरी, कमीशनखोरी, मिलावटखोरी, डग्गामारी और कालाबाजारी के विरुद्ध आवाज उठाने वाले सैकड़ों सूचना सामाजिक कार्यकर्तागण के साथ अप्रिय घटनाएं घट चुकी हैं फिर भी उनकी सुरक्षा के लिए अब तक कानून नहीं बना है । चुनाव लड़ने के लिए अर्हता परीक्षा के साथ ही न्यूनतम शैक्षिक योग्यता का निर्धारण आवश्यक है।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से अध्यक्ष/ संस्थापक हरि प्रताप सिंह राठौड़ एडवोकेट, मार्गदर्शक एम एल गुप्ता, संरक्षक प्यारे लाल, सुरेश पाल सिंह, एच एन सिंह, समीरुद्दीन एडवोकेट, केंद्रीय कार्यालय प्रभारी रामगोपाल, मण्डल समन्वयक एम एच कादरी, सह मंडल समन्वयक ज्ञानदीप शर्मा, सह जिला समन्वयक राम लखन, सह तहसील समन्वयक कृष्ण गोपाल, ब्लाक समन्वयक नेत्रपाल , सूचना कार्यकर्ता दुष्यन्त कुमार आदि की सहभागिता रही।
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